Detailed Notes on hindi kahani short

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किसी जंगल में भासुरक नाम का एक सिंह रहा करता था.

महात्मा जी ने इस समस्त कार्यवाही का उद्देश्य केवल यही था कि दोनों का क्रोध कुछ कम हो जाए, ताकि उन्हें समझाया बुझाया जा सके और हुआ भी यही.

शिक्षा : बड़ा बनने के लिए अपने से आगे वाले की टांग खीचने की बजाय उनसे अधिक मेहनत कर आगे बढ़ो.

जंगली जानवरों पर आधारित ये स्टोरी छोटे से जानवर की बुद्दिमता से किस तरह एक जंगल के सभी निवासियों की समस्या का सदा-सदा के लिए समाधान कर देता हैं, इस कहानी से हमे प्रेरणा मिलती हैं,

तीनों में से सबसे बुद्धिमान मछली ने एक अलग तालाब खोजने की योजना बनाई। बाकि बची दो मछलियों में से एक ने सहमति व्यक्त की, पर दूसरे ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह तालाब उनका घर है और वह इसे छोड़कर नहीं जाएगी। फिर उसने आगे कहा “आज तक इस तालाब में कभी कोई खतरा नहीं था। मुझे नहीं लगता कि हमें यह तालाब छोड़कर जाने की जरुरत है, और छोड़कर जाना कायरता होगी। ”

कुरज तो आकाश में अद्रश्य हो गईं, उन्दरा पाताल में अद्रश्य हो गया.



माँ को लगा इस तरह उमा नही मानने वाली हैं उन्हें उपाय सुझा की किसी तरह इसे दुःख पहुचा कर उनकी गलतियों का एहसास कराया जाए.

महात्मा जी ने कहा- भूमि का निर्णय तो हो ही जाएगा. वह कही भागे थोड़ी ही जा रही हैं. पहले भोजन हो जाए, ताकि मन मस्तिष्क ठिकाने आ जाए.

सब कुछ बदला बदला था. वह सोच रहे थे कि मैं रास्ता भूलकर पुनः द्वारका तो नहीं आ गया.

संत महात्मा तो स्वभाव से ही दयालु एवंम परोपकारी होते हैं. सदैव सबका ही भला चाहते हैं.

वह इसे जितना सरल काम समझ रही थी वह उतना ही कठिन निकला.

वैसे तो उसको यह कीमत कुछ ज्यादा ही लगी, मगर अपने वतन की लाज रखने की खातिर उन्होंने वो एक सूत्र खरीद लिया.

कुरज की यह करुण विनती सुनकर उदरे का ह्रदय फट सा गया. उसकी आँखों में आंसू छलछला से गये. खेत के लोभी मालिक पर उसे बहुत गुस्सा आया,फिर भी उसने संयत स्वर में उससे विनती की- यदि तू इस कुरज को छोड़ दे तो मै तुम्हे एक सोने की माला दूंगा. पुरे एक सौ आठ मनको की.

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